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Thursday, 9 July 2015

निःशुल्क रिकाङिग ऐप से रहे सावधान जाने कैसे?,

जयपुर।
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नि:शुल्क एप की बदौलत मोबाइल पर
किसी की बात रिकॉर्ड करना आसान हो
गया है। मोबाइल उपयोगकर्ता चाहे या न चाहे
एप डाउनलोड करने के बाद हर बातचीत स्वत: ही
रिकॉर्ड होगी। ध्यान रखें, किसी दूसरे को
मोबाइल दें तो उसमें से रिकॉर्ड बातचीत को
हटा लें, नहीं तो आपकी कोई निहायती निजी
पल भी किसी दूसरे के सामने आ सकते हैं और कोई
ऎसी बात भी उजागर हो सकती है, जो आपको
बदनाम कर सकती है। क्योंकि इन रिकॉर्डिग
को सीधे सोशल मीडिया पर लिंक करके वायरल
करना बेहद आसान है। ऎसे ने निजता भंग होने की
आशंका बनी रहती है।

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जान, जानिए कैसे?

आपका डेटा!
यह रिकॉर्डिग वैध
पुलिस व सुरक्षा एजेंसी और सरकारी विभाग
किसी शख्स की रिकॉर्डिग करना चाहते हैं तो
उसके लिए उन्हें गृह विभाग से पूर्व अनुमति लेना
अनिवार्य है। तभी वह उसका कानूनी रूप से
उपयोग कर सकते हैं।
रखें सावधानी
किसी को अपना मोबाइल देने से पहले उसमें चेक
कर लें उसमें किसी प्रकार की रिकॉर्डिग तो
नहीं है।
मोबाइल परिचित को दें, लेकिन उस पर पूरी नजर
रखें।
मोबाइल से अनावश्यक रिकॉर्डिग को तुरंत
डिलिट कर दें।
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स्पीकर में गाना
कार्रवाई का भी नहीं प्रावधान
जब तक किसी रिकॉर्डिग में आपराधिक मंशा
जाहिर नहीं होती, तब तक कानूनी कार्रवाई
संभव नहीं है। ऎसे मामलों में पुलिस के पास सीधे
कानूनी कार्रवाई का अधिकार नहीं है।
बदनामी होने पर पीडित मानहानि का दावा
जरूर कर सकता है।
जांच में अपराध सिद्ध तो कार्रवाई
रिकॉर्डिग में धमकी दी गई है या फिर अश्लील
मैसेज और क्लिपिंग होने पर पुलिस थाने में इसकी
शिकायत की जा सकती है। कई बार कांट-छांट
कर रिकॉर्डिग में शब्द जोड़ दिए जाते हैं।
इसलिए प्रयोगशाला में उसकी वैधता की भी
पुष्टि क रवाई जाती है। पुलिस जांच में अपराध
सिद्ध होने पर ऎसे व्यक्तियों के खिलाफ
कार्रवाई की जाती है दमदार है फोन
केस- एक
मेरे तबादले से बड़ा खुश है
जयपुर कमिश्नरेट के एक एसएचओ हाल में तबादले के
बाद छुट्टी पर चले गए। इस बीच उन्हें पता चला
कि एक एएसआई उनके तबादले को लेकर खुश है।
एसएचओ ने तुरंत एएसआई को फोन कर कहा कि तू
बड़ा खुश हो रहा है। तबादले तो होते रहते हैं,
लेकिन बात संभलकर करनी चाहिए। एएसआई के
मोबाइल पर एसएचओ की यह बात रिकॉर्ड हो
गई। बाद में यह वायरल कर दी गई। पुलिस अफसरों
ने इसे गंभीर माना।
केस- दो
करवाया आमना-सामना
खो नागोरियान थाना क्षेत्र के एक घर में कुछ
पुलिसकर्मी पहुंचे और महिलाओं से खाली कागज
पर हस्ताक्षर करवा लिए। इसकी भनक लगने पर
परिवार के एक सदस्य ने पुलिसकर्मी से मोबाइल
पर बात की तो पता चला कि उसे जेके लोन
अस्पताल के चिकित्सकों ने भेजा है। जबकि
परिवार के सदस्य ने अस्पताल में चिकित्सक को
फोन किया तो उनका कहना था कि किसी
को नहीं भेजा। बाद में दोनों की रिकॉडिंग हुई
बात से आमना-सामना कराया तो सच्चाई
सामने आ गई

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