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Sunday, 14 June 2015

Bhagwan Ram Ka Chamtkaar


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" रावण का चमत्कार या राम जी का...पावर...?? "
(जरूर पढें.. एक हास्य रस की सस्पेंस कथा)
.
.
श्री राम के नाम से पत्थरों के तैरने की news जब लंका
पहुँची , तब वहाँ की Public में काफी Gossip हुआ कि
भैया जिसके नाम से ही पत्थर तैरने लगें , वो आदमी
क्या गज़ब होगा ।
इस तरह की बेकार की अफ़वाहों से परेशान रावण ने तैश
में आकर Announce करवा दिया कि कल " रावण " के
नाम लिखे हुए पत्थर भी पानी में तिराये जायेंगे और
अगले दिन लंका में Public Holiday Declare कर दिया
गया ।
निश्चित दिन और समय पर सारी Population रावण
का चमत्कार देखने पहुँच गयी ।
Set Time पर रावण अपने भाई - बँधुओं , पत्नियों तथा
Staff के साथ वहाँ पहुँचे और एक भारी से पत्थर पर
उनका नाम लिखा गया ।
Labor लोगों ने पत्थर उठाया और उसे समुद्र में डाल
दिया -- पत्थर सीधा पानी के भीतर !
सारी Public इस सब को साँस रोके देख रहे थी ,
जबकी रावण लगातार मन ही मन में मँत्रोच्चारण कर रहे
थे ।
अचानक, पत्थर वापस Surface पर आया और तैरने लगा ।
Public पागल हो गयी , और " लँकेश की जय " के
कानफोड़ू नारों ने आसमान को गुँजायमान कर दिया

एक Public Celebration के बाद रावण अपने लाव लश्कर
के साथ वापस अपने महल चले गये और Public को भरोसा
हो गया कि ये राम तो बस ऐसे ही हैं ।
पत्थर तो हमारे महाराज रावण के नाम से भी तैरते हैं ।
पर उसी रात को मँदोदरी ने Notice किया कि
रावण Bed में लेटे हुए बस Ceiling को घूरे जा रहे थे।
“ क्या हुआ स्वामी ? फिर से Acidity के कारण नींद
नही आ रही क्या ? ”
Eno दराज मे पडी है ले कर आऊँ ? मँदोदरी ने पूछा ।
“ मँदु ! रहने दो , आज तो इज़्ज़त बस लुटते लुटते बच गयी ,
आइन्दा से ऐसे Experiment नहीं करूंगा । "
Ceiling को लगातार घूर रहे रावण ने जवाब दिया ।
मँदोदरी चौंक कर उठी और बोली , “ ऐसा क्या हो
गया स्वामी ? ”
रावण ने अपने सर के नीचे से हाथ निकाला और छाती
पर रखा , “ वो आज सुबह याद है पत्थर तैरा था ? ”
मँदोदरी ने एक Curious Smile के साथ हाँ मे सर
हिलाया ।
पत्थर जब पानी में नीचे गया था , उसके साथ साथ
मेरी साँस भी नीचे चली गयी थी ।
रावण ने कहा ।
इस पर Confused मँदोदरी ने कहा : “ पर पत्थर वापस
ऊपर भी तो आ गया था ना , वैसे ऐसा कौन सा मँत्र
पढ़ रहे थे आप जिससे पानी में नीचे गया पत्थर वापस
आकर तैरने लगा ? ”
इस पर रावण ने एक लम्बी साँस ली और बोले ,
“ मँत्र-वँत्र कुछ नहीं पढ़ रहा था बल्कि बार बार बोल
रहा था कि " हे पत्थर ! तुझे राम की कसम , PLEASE
डूबियो मत भाई !! "
राम नाम मे है दम !!
बोलो भाईयों
जय श्री राम !!
जय श्री राम !!
जय श्री राम !!
जय श्री राम !!

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